बस्तर की बेटी सुशीला नेताम का राष्ट्रीय तीरंदाजी में चयन, ओलंपिक खेलने का सपना
कभी माओवाद के लिए पहचाने जाने वाले बस्तर संभाग अब खेलों में अपनी नई पहचान बना रहा है। यहां के युवा अब खेलों के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसा ही एक नाम है तीरंदाज सुशीला नेताम, जिन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से कोंडागांव जिले को गौरवान्वित किया है।
राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन
रायपुर में आयोजित 24वीं राज्य स्तरीय सीनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता में सुशीला ने बेहतरीन प्रदर्शन कर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए अपना स्थान पक्का किया है। यह प्रतियोगिता 15 से 20 दिसंबर के बीच जमशेदपुर (झारखंड) में आयोजित की जाएगी।
खेल का सफर कक्षा आठवीं से शुरू हुआ
कोंडागांव जिले के ग्राम बोटीकनेरा की रहने वाली सुशीला ने आठवीं कक्षा से तीरंदाजी की शुरुआत की। वर्तमान में वह पोस्ट मैट्रिक कन्या छात्रावास में रहकर कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ तीरंदाजी का प्रशिक्षण ले रही हैं। सुशीला बताती हैं कि शुरुआती दौर में उनके पास साधन और उपकरणों की कमी थी, लेकिन जिला प्रशासन और भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने सहयोग कर उन्हें आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया।
चुनौतियों के बीच बढ़ता आत्मविश्वास
प्रारंभिक दिनों में संसाधनों की कमी के बावजूद, सुशीला ने कठिन मेहनत से अपने खेल को निखारा। पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर खेलने गईं तो अनुभव की कमी और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा। इसके बाद उन्होंने अपनी कमजोरियों पर काम किया और 2023 में खेलो इंडिया प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अपने आत्मविश्वास को नई ऊंचाई दी।
परिवार और शिक्षकों का सहयोग बना प्रेरणा
सुशीला के पिता का बचपन में ही निधन हो गया था, और उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। बावजूद इसके, उनकी मां और बड़े भाई ने हर संभव सहयोग दिया। शिक्षकों के मार्गदर्शन ने भी सुशीला को अनुशासन और मेहनत का महत्व सिखाया।
ओलंपिक में खेलने का सपना
आठवीं कक्षा में तीरंदाजी स्टार दीपिका कुमारी से प्रेरणा लेते हुए सुशीला ने ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा। इस लक्ष्य को पाने के लिए वह लगातार कड़ी मेहनत कर रही हैं।
खेलो इंडिया लघु केंद्र बना युवाओं की उम्मीद
कोंडागांव जिले में खेलो इंडिया लघु केंद्र की स्थापना से सुशीला जैसे खिलाड़ियों को आधुनिक उपकरण, बेहतर प्रशिक्षण और आवश्यक सुविधाएं मिल रही हैं। यह केंद्र स्थानीय प्रतिभाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है।
सुशीला नेताम की सफलता न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे बस्तर संभाग के लिए गर्व का विषय है। उनकी कहानी अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा है कि कैसे चुनौतियों के बावजूद दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत से ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।