छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आरबीएल बैंक की वसूली प्रक्रिया को लेकर एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। छत्तीसगढ़ समाचार के रिपोर्टर ने खुद को बैंक की अव्यवस्थित और आक्रामक वसूली प्रक्रिया का शिकार बताया है। यह मामला न केवल बैंक की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों की धज्जियां उड़ाने का गंभीर आरोप भी लगाता है।
रिपोर्टर ने बताया कि उन्होंने हाल ही में अपने क्रेडिट कार्ड को दोबारा जारी करने के लिए आरबीएल बैंक के कस्टमर केयर से संपर्क किया था। इस दौरान 4846 रुपये का बिल भुगतान छूट गया, जिसकी सूचना उन्हें ग्यारह दिन बाद दी गई। सूचना मिलते ही उन्होंने बकाया राशि तुरंत चुका दी। लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ।
बैंक ने एक विवादास्पद कदम उठाते हुए पश्चिम बंगाल के कोलकाता से एक वसूली एजेंट को नियुक्त किया, जबकि रिपोर्टर रायपुर में रहते हैं। इसके बाद सोमवार से एक महिला एजेंट ने उन्हें बार-बार कॉल कर परेशान करना शुरू कर दिया। रिपोर्टर ने दावा किया कि महिला एजेंट ने धमकी दी कि “साहू” नामक व्यक्ति उनके घर पर भेजा जाएगा। यही नहीं, व्हाट्सएप पर धमकी भरे संदेश भी भेजे गए, जिनमें तत्काल भुगतान की मांग की गई, जबकि बकाया राशि पहले ही चुकाई जा चुकी थी।
रिपोर्टर ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने वसूली एजेंट से जुड़े मामले की पुष्टि के लिए कोलकाता स्थित एसएसएस सॉल्यूशंस की कर्मचारी टुम्पी (+91 72******03) से संपर्क किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें आरबीएल बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार प्रशिक्षण दिया गया है, तो उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया।
इस पूरे मामले ने बैंकिंग प्रणाली में मौजूद खामियों को उजागर कर दिया है। आरबीआई के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि ग्राहकों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए और किसी भी प्रकार की धमकी या उत्पीड़न से बचा जाना चाहिए। लेकिन इस घटना ने दिखाया कि आरबीएल बैंक के वसूली तंत्र में गंभीर खामियां हैं।
इस घटना ने न केवल रिपोर्टर को मानसिक तनाव में डाल दिया, बल्कि उनके परिवार को भी चिंता में डाल दिया है। रिपोर्टर ने कहा, “यह अनुभव न केवल अपमानजनक था, बल्कि एक आम नागरिक के अधिकारों पर हमला था। क्या बैंक अब ग्राहकों को डराने और धमकाने के नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं?”
यह घटना देशभर में ग्राहकों के अधिकारों को लेकर एक नई बहस को जन्म दे सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं न केवल बैंक की छवि खराब करती हैं, बल्कि पूरी बैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती हैं।
इस मामले को लेकर आरबीएल बैंक से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि बैंक को अपनी वसूली प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे नैतिक और कानूनी मापदंडों का पालन करें।
छत्तीसगढ़ के लोगों ने इस घटना की निंदा करते हुए बैंकिंग प्रणाली में सुधार की मांग की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि नियामक संस्थाएं और बैंकिंग उद्योग इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं। क्या यह घटना अन्य बैंकों के लिए भी चेतावनी साबित होगी, या ग्राहकों के अधिकारों का हनन इसी तरह जारी रहेगा?