बिलासपुर: 570 करोड़ रुपये के कोयला घोटाले में जेल में बंद निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू और व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच, जिसमें न्यायाधीश नरेंद्र कुमार व्यास शामिल थे, ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी।
क्या है कोयला घोटाला?
यह मामला 570 करोड़ रुपये की अवैध लेवी वसूली से जुड़ा है। आरोप है कि कोयला व्यापारियों से वसूली के लिए ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को आदेश जारी किया, जिसके बाद एक सिंडिकेट बनाकर वसूली की जाने लगी। इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी को माना गया है।
आरोपों के अनुसार, व्यापारियों से प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली की जाती थी। जिन व्यापारियों ने यह रकम चुकाई, उन्हें खनिज विभाग द्वारा पीट पास और परिवहन पास जारी किए गए। इस तरीके से सिंडिकेट ने कुल 570 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की।
जेल में दर्जन भर आरोपी
इस मामले में निलंबित IAS रानू साहू और समीर बिश्नोई समेत कुल 16 आरोपी जेल में बंद हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, संदीप नायक, सुनील अग्रवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी, और अन्य लोग शामिल हैं।
राजनीतिक संरक्षण के आरोप
ईडी की जांच में यह सामने आया है कि सूर्यकांत तिवारी को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया का संरक्षण प्राप्त था। मामले में ईडी के प्रतिवेदन के आधार पर एसीबी/ईओडब्ल्यू ने दो पूर्व मंत्रियों, दो विधायकों और कुल 36 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से मामले में आरोपियों को बड़ा झटका लगा है, जबकि ईडी और अन्य जांच एजेंसियों के लिए यह महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है।