नई दिल्ली: चीनी AI स्टार्टअप DeepSeek हाल ही में विवादों में घिर गया है। इस कंपनी पर CCP (चीनी कम्युनिस्ट पार्टी) के नियंत्रण और बौद्धिक संपदा उल्लंघन के गंभीर आरोप लगे हैं। AI तकनीक में इसकी तेज़ी से उभरती उपस्थिति और संवेदनशील विषयों पर चुप्पी ने कई विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है।
OpenAI के साथ बौद्धिक संपदा विवाद
DeepSeek पर आरोप है कि उसने OpenAI के मालिकाना मॉडल आउटपुट का उपयोग कर अपने AI सिस्टम को प्रशिक्षित किया। OpenAI का दावा है कि DeepSeek ने मॉडल डिस्टिलेशन तकनीक के जरिए इसके उन्नत मॉडल की कार्यप्रणाली की नकल की, जिससे इसके बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन हुआ। हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा जटिल है क्योंकि OpenAI के अपने मॉडल भी सार्वजनिक डेटा पर प्रशिक्षित किए गए हैं।
संवेदनशील विषयों पर बचाव
DeepSeek की एक और आलोचना इसकी संवेदनशील विषयों से बचने की नीति को लेकर है। जब तियानमेन स्क्वायर नरसंहार से जुड़े सवाल पूछे गए, तो कंपनी ने जवाब देने से इनकार कर दिया। इसी तरह, अरुणाचल प्रदेश और ताइवान जैसे मुद्दों पर पूछे गए सवालों के जवाब में DeepSeek ने असहमति भरा रुख अपनाया। उदाहरण के लिए, जब पूछा गया कि “अरुणाचल प्रदेश भारत का राज्य है?”, तो DeepSeek ने कहा, “मुझे इस विषय पर उत्तर देने में असमर्थता है।”
CCP नियंत्रण और संभावित प्रचार टूल होने के आरोप
DeepSeek पर आरोप है कि यह CCP के नियंत्रण में काम कर रहा है और संवेदनशील राजनीतिक मुद्दों पर चीनी सरकार के अनुरूप जवाब देता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, DeepSeek का डेटा और एल्गोरिदम इस तरह से नियंत्रित किया जाता है कि यह चीन विरोधी या विवादास्पद विषयों पर चर्चा करने से बचे। इसके अलावा, कंपनी पर बड़े पैमाने पर साइबर हमलों का दावा भी किया गया है, जिससे यह संदेह बढ़ गया है कि इसके संचालन में CCP की गहरी भूमिका हो सकती है।