छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड ने प्रदेशभर में करीब 400 संपत्तियों पर अपना मालिकाना हक जताते हुए दावा किया है कि ये संपत्तियां फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए अवैध रूप से कब्जे में ले ली गई हैं या गलत तरीके से रजिस्ट्री करवाई गई हैं। वक्फ बोर्ड के अनुसार ये संपत्तियां मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए आरक्षित थीं और इनकी अनुमानित कीमत लगभग 500 करोड़ रुपये है। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने बताया कि जिन संपत्तियों पर विवाद है, उनमें बिलासपुर में 123 और रायपुर में 78 मामले शामिल हैं। रायपुर के मालवीय रोड और हलवाई लाइन की 40 दुकानों का मामला सबसे प्रमुख है, जहां किराएदारों पर जाली दस्तावेज़ तैयार कर मालिकाना हक जताने का आरोप है।
वक्फ बोर्ड ने राज्य के सभी जिलों के कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी करते हुए इन संपत्तियों की जांच कर 21 दिनों के भीतर उन्हें पुनः वक्फ बोर्ड के कब्जे में दिलाने की कार्रवाई करने को कहा है। इस बीच हाल ही में लागू हुआ वक्फ संशोधन अधिनियम भी इन मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस नए कानून के तहत अब वक्फ ट्राइब्यूनल के फैसलों को 90 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, जिससे न्यायिक निगरानी की व्यवस्था सुदृढ़ हुई है।
इस विवाद ने कानूनी मोड़ ले लिया है क्योंकि कुछ व्यापारियों ने न्यायालय का रुख कर अपनी दावेदारी पेश की है। अब दोनों पक्ष अदालत में अपने-अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे और यह तय किया जाएगा कि इन संपत्तियों का वास्तविक मालिक कौन है। वक्फ बोर्ड की इस कार्यवाही से पूरे राज्य में वक्फ संपत्तियों की स्थिति को लेकर गंभीर बहस छिड़ गई है और आने वाले समय में इसके नतीजे राज्य की संपत्ति व्यवस्था और मुस्लिम समुदाय की भलाई से जुड़े मुद्दों को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।