पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ भड़की हिंसा के बाद हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। रिपोर्टों के अनुसार, इस हिंसा के चलते विशेष रूप से धुलियान इलाके से करीब 400 हिंदू परिवारों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा है। कई लोग अपनी जान बचाने के लिए गंगा पार कर मालदा जिले के परलालपुर हाई स्कूल में शरण ले चुके हैं। इस हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास भी शामिल हैं। आरोप है कि इन दोनों को उनके घर से खींचकर बाहर निकाला गया और बेरहमी से हत्या कर दी गई।
इस हिंसा ने राज्य में सांप्रदायिक तनाव को और अधिक बढ़ा दिया है। स्थिति को काबू में लाने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि वह “आँखें बंद नहीं रख सकती” और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना होगा।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद और पूर्व भारतीय क्रिकेटर यूसुफ पठान उस वक्त विवादों में आ गए जब उन्होंने हिंसा के दौरान इंस्टाग्राम पर चाय की चुस्की लेते हुए तस्वीर पोस्ट की। जबकि उनके लोकसभा क्षेत्र बहरमपुर से करीब 80 किमी दूर ही हिंसा प्रभावित इलाके स्थित हैं, फिर भी उनकी चुप्पी और तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
बीजेपी प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर तीखा हमला करते हुए कहा, “जब बंगाल जल रहा है और हिंदुओं की हत्या हो रही है, तब TMC सांसद यूसुफ पठान चाय की चुस्की लेते हुए सुकून में हैं। ममता बनर्जी की सरकार इस राज्य संरक्षित हिंसा को बढ़ावा दे रही है और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।”
वामपंथी दलों के समर्थकों ने भी पठान की इस तस्वीर को असंवेदनशील बताया है। कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि गुजरात के बड़ौदा निवासी यूसुफ पठान को बंगाल के मुर्शिदाबाद जैसे संवेदनशील क्षेत्र से टिकट क्यों दिया गया था।
गौरतलब है कि पिछले साल के लोकसभा चुनाव में यूसुफ पठान ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी को हराकर जीत हासिल की थी, जिससे ये सीट लंबे समय बाद TMC के खाते में आई थी।
सियासी हलकों में यह सवाल भी उठ रहा है कि जब मुर्शिदाबाद में हिंसा फैली, पुलिस पर हमला हुआ, गाड़ियाँ जलाई गईं और निर्दोषों की हत्या हुई – उस समय यूसुफ पठान और TMC कहां थे? उनकी गैरमौजूदगी और सार्वजनिक बयान न देने की प्रवृत्ति से आम जनता में रोष और असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है।
अब जबकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए केंद्र की सहायता मांगी है, यह देखना अहम होगा कि बंगाल सरकार किस प्रकार इस संकट से निपटती है और बेघर हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। लेकिन फिलहाल, यूसुफ पठान की चुप्पी और इंस्टाग्राम पोस्ट ने सियासी माहौल को और अधिक गरमा दिया है।