छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो ननों की गिरफ्तारी ने राजनीतिक और धार्मिक गलियारों में हलचल मचा दी है। केरल से ताल्लुक रखने वाली दो कैथोलिक ननों, सिस्टर प्रीति मैरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस, को एक युवक और तीन आदिवासी युवतियों के साथ उस समय गिरफ्तार किया गया जब वे ट्रेन से आगरा जा रहे थे। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने धर्मांतरण की आशंका जताते हुए विरोध किया और पुलिस से कार्रवाई की मांग की।
घटना के समय तीनों युवतियां नारायणपुर जिले की रहने वाली थीं और उनके पास यात्रा की सहमति के दस्तावेज मौजूद थे। वे आगरा में एक मिशनरी अस्पताल में नौकरी के लिए जा रही थीं, जिसकी पुष्टि उनके परिवारों ने भी की है। जानकारी के अनुसार, ये नन “Assisi Sisters of Mary Immaculate” से जुड़ी हैं और आगरा में कार्यरत थीं।
बजरंग दल के आरोपों के आधार पर GRP पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 370 (मानव तस्करी) और छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। फिलहाल दोनों नन और युवक को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि तीनों युवतियों को दुर्ग के वन स्टॉप सेंटर में रखा गया है।
वहीं, केरल कैथोलिक बिशप परिषद (KCBC) और ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन ने इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है और इसे संविधान विरोधी करार दिया है। उनका कहना है कि यह गिरफ्तारी बिना किसी कानूनी आधार के की गई और इसे एक समुदाय को टारगेट करने की साजिश बताया।
राजनीतिक स्तर पर भी इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल और राहुल गांधी ने संसद में मामला उठाया और इसे “मॉब ट्रायल” बताया। उन्होंने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है और ननों की तत्काल रिहाई की अपील की है।
इस घटना ने देशभर में मिशनरी संस्थाओं की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सबकी नजर 8 अगस्त को होने वाली सुनवाई पर टिकी है, जहां यह तय होगा कि इन ननों पर लगे आरोप कितने ठोस हैं या यह एक और उदाहरण है धार्मिक भेदभाव का।