2 मई 2025 को झारखंड में आयोजित हुए मिस यूनिवर्स छत्तीसगढ़ 2025 के फिनाले में डॉ. अंजलि पवार को ताज पहनाया गया। डॉ. पवार पेशे से डेंटिस्ट और ध्यान की प्रशिक्षक हैं। अब वे नवंबर में थाईलैंड में होने वाली मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी कर रही हैं। उनकी उपलब्धि सराहनीय है, लेकिन यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि छत्तीसगढ़ के लिए ताज पहनने वाली प्रतिभागी का जन्म और मूल पहचान इस राज्य से क्यों नहीं है।
डॉ. पवार मूल रूप से मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के वारासिवनी की रहने वाली हैं और वर्तमान में रायपुर में निवास कर रही हैं। उनकी शादी कथित रूप से एक बंगाली परिवार में हुई है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। इसके बावजूद, उन्होंने छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया और विजेता बनीं। इसी के साथ यह भी सवाल उठा कि प्रतियोगिता का आयोजन छत्तीसगढ़ में न होकर झारखंड में क्यों किया गया। आयोजकों ने इस पर कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से छत्तीसगढ़ की बेटियों को अपने राज्य में मंच और पहचान का मौका कम मिला।
ग्लैमनंद एंटरटेनमेंट द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता के नियमों के अनुसार, प्रतिभागी जन्म, निवास या माता-पिता के संबंध के आधार पर राज्य का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं। संभवतः डॉ. पवार का रायपुर में वर्तमान निवास इन्हीं नियमों के तहत योग्य माना गया। लेकिन यह सवाल भी खड़ा हुआ कि क्या केवल तकनीकी योग्यता ही पर्याप्त है या प्रतिनिधित्व उस पहचान और संस्कृति से होना चाहिए, जिससे प्रतियोगिता जुड़ी हुई है।
स्थानीय कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी चिंता जताई कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध जनजातीय और सांस्कृतिक विरासत तथा यहां की बेटियों को इस मंच पर उतनी जगह नहीं दी गई, जितनी दी जानी चाहिए थी। उनका कहना है कि राज्य की बेटियां ही यहां की असली पहचान और आत्मा को मंच पर ला सकती हैं।
यह विवाद डॉ. पवार की उपलब्धियों को कम नहीं करता, लेकिन यह जरूर बताता है कि ऐसे मंचों पर केवल प्रतिभा ही नहीं, बल्कि राज्य की पहचान और स्थानीयता का भी सम्मान होना चाहिए। छत्तीसगढ़ की बेटियों को न केवल मंच, बल्कि वो सम्मान भी मिलना चाहिए, जो उनकी मिट्टी से जुड़ी असल पहचान को सामने लाए। यह ताज भले ही चमकदार हो, लेकिन राज्य की असली जड़ें उससे कहीं ज्यादा गहरी और महत्वपूर्ण हैं।