तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के गांवों में एक बार फिर केरल से अवैध रूप से लाया गया बायोमेडिकल, खाद्य और प्लास्टिक कचरा डंप करने का मामला सामने आया है। यह कचरा मुख्य रूप से केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित रीजनल कैंसर सेंटर और क्रेडेंस प्राइवेट हॉस्पिटल से उत्पन्न हुआ है। इस कचरे को जलाशयों और पट्टा जमीनों पर फेंकने से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
शिकायतों के बावजूद प्रशासन की लापरवाही:
स्थानीय लोगों ने इस मुद्दे को लेकर एक महीने पहले सुथमल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी और 2 जनवरी को मुख्यमंत्री विशेष प्रकोष्ठ को भी इसकी जानकारी दी थी। बावजूद इसके, शुरुआती प्रतिक्रियाएं बेहद निराशाजनक रहीं। प्रशासन की इस लापरवाही ने लोगों में नाराजगी बढ़ा दी।
स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरा:
भूमि निरीक्षकों और स्थानीय लोगों ने चिंता जताई है कि इस कचरे में बायोमेडिकल कचरा शामिल है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। इस मुद्दे पर बार-बार दबाव बनाने के बाद जिला प्रशासन और पुलिस ने FIR दर्ज कर कार्रवाई शुरू की है।
प्रशासनिक नाकामी और अनसुलझे सवाल:
यह मामला कई अहम सवाल खड़े करता है। चेक पोस्टों पर पुलिस, RTO और अन्य अधिकारियों की भूमिका क्या है? अब तक राज्य स्तरीय बातचीत क्यों नहीं हुई? विपक्षी दल इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? और केरल से आए इस कचरे को वापस भेजने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए?
अंतर-राज्यीय सहयोग की जरूरत:
इस घटना ने एक बार फिर कचरा प्रबंधन के नियमों को सख्ती से लागू करने और राज्यों के बीच बेहतर सहयोग की आवश्यकता को उजागर किया है। तमिलनाडु को केरल जैसे पड़ोसी राज्यों के लिए कचरा डंपिंग ग्राउंड बनने से रोकने के लिए तत्काल और निर्णायक कदम उठाना जरूरी है।
समुदाय की मांग:
स्थानीय समुदाय ने इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग की है ताकि स्वास्थ्य और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करें और तमिलनाडु के लोगों को राहत प्रदान करें।