मायसूरु, 7 फरवरी 2025 – भारत की प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस ने अपने मायसूरु कैंपस में 400 से अधिक प्रशिक्षुओं को आंतरिक मूल्यांकन में असफल होने के कारण नौकरी से निकाल दिया। अचानक हुई इस छंटनी ने सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश पैदा कर दिया है और कंपनी की भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठे हैं।
सूत्रों के अनुसार, इन प्रशिक्षुओं ने स्नातक के बाद दो साल से अधिक इंतजार करने के बाद इंफोसिस में नौकरी पाई थी। लेकिन अब, महज छह महीने बाद, उन्हें सुबह-सुबह बैचों में बुलाया गया और तुरंत कंपनी छोड़ने के निर्देश दिए गए। इस दौरान, सुरक्षा कर्मी और बाउंसर भी तैनात थे ताकि कोई बाधा न उत्पन्न हो।
एक प्रशिक्षु, जो मध्य प्रदेश से थीं, ने अधिकारियों से भावुक अपील करते हुए कहा, “कृपया मुझे एक रात ठहरने दें, मैं कल चली जाऊंगी। मैं अभी कहां जाऊं?” लेकिन अधिकारी ने बेरुखी से जवाब दिया, “हमें नहीं पता, आप अब कंपनी का हिस्सा नहीं हैं। शाम 6 बजे तक परिसर खाली करें।”
इस अमानवीय व्यवहार की निंदा Nascent Information Technology Employees Senate (NITES) ने की है, जिसने श्रम मंत्रालय में आधिकारिक शिकायत दर्ज करने की चेतावनी दी है। संगठन के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने इसे “असम्मानजनक” बताते हुए कहा कि कंपनी ने प्रशिक्षुओं को डराने के लिए सुरक्षा कर्मियों का इस्तेमाल किया।
सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने इंफोसिस की इस कार्रवाई की आलोचना की। एक यूजर ने ट्वीट किया, “यह वाकई दिल दहला देने वाला है। इन फ्रेशर्स ने 2-2.5 साल इंतजार किया और आखिरकार सितंबर 2024 में ज्वाइन किया। अब महज छह महीने बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया!”
इंफोसिस ने अपने बचाव में कहा कि प्रशिक्षुओं को तीन बार मूल्यांकन का मौका दिया गया था और यह प्रक्रिया कंपनी में उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिभा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी थी। हालांकि, पूर्व प्रशिक्षुओं का कहना है कि 2024 बैच के लिए नई मूल्यांकन नीति काफी कठोर थी, जिससे पास होना मुश्किल हो गया।
पहले जहां निष्कासन दर 10% के आसपास थी, अब यह बढ़कर 30% तक पहुंच गई है। अचानक निकाले गए प्रशिक्षु अपने घर जाने के लिए परिवहन साधनों की तलाश में भटक रहे हैं और अपने परिवार को इस झटके की सूचना देने से डर रहे हैं।
जैसे-जैसे इंफोसिस इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है, सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर बहस तेज हो रही है। यह घटना भारतीय आईटी क्षेत्र में नौकरी सुरक्षा और नैतिक भर्ती प्रक्रियाओं पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।