तमिलनाडु के 21 प्रमुख मंदिरों में भक्तों द्वारा वर्षों से चढ़ाए गए सोने के आभूषणों को अब एक सुनियोजित योजना के तहत उपयोग में लाया जा रहा है। इन मंदिरों में पड़े करीब 1,000 किलो से अधिक सोने को पिघलाकर 24 कैरेट शुद्धता वाले गोल्ड बार में बदला गया और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की गोल्ड इन्वेस्टमेंट योजना के अंतर्गत जमा कर दिया गया है। इस निवेश से राज्य सरकार को हर वर्ष लगभग ₹17.81 करोड़ का ब्याज मिल रहा है, जिसे संबंधित मंदिरों के विकास कार्यों में लगाया जा रहा है।
राज्य विधानसभा में हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग द्वारा प्रस्तुत नीति पत्र में इस योजना का विस्तृत विवरण दिया गया। विभाग के मंत्री पी. के. शेखर बाबू ने बताया कि यह पहल तीन क्षेत्रों में नियुक्त सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली समितियों की निगरानी में संचालित की जा रही है।
31 मार्च 2025 की स्थिति के अनुसार, कुल 10,74,123.488 ग्राम (यानी लगभग 1,074 किलो) शुद्ध सोना इन 21 मंदिरों से प्राप्त किया गया। सबसे अधिक योगदान तिरुचिरापल्ली जिले के अरुल्मिगु मरिअम्मन मंदिर, समायपुरम से रहा, जहां से लगभग 4,24,266.491 ग्राम (यानी 424 किलो से अधिक) सोना प्राप्त हुआ।
यह सारा सोना मुंबई स्थित सरकारी टकसाल में पिघलाया गया और 24 कैरेट गोल्ड बार में परिवर्तित कर बैंक में जमा किया गया। सरकार के अनुसार, यह योजना न केवल मंदिरों के चढ़ावे का पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित करती है, बल्कि इससे प्राप्त ब्याज मंदिरों की सेवाओं, पुनर्निर्माण, सुविधा विस्तार और धर्मार्थ कार्यों में लगाया जाता है।
इतना ही नहीं, अब मंदिरों में वर्षों से रखी गई ‘बेकार और अनुपयोगी’ चांदी की वस्तुओं को भी पिघलाकर शुद्ध चांदी की सलाखों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इसके लिए राज्य सरकार ने अधिकृत निजी चांदी गलाने वाली कंपनियों को मंदिर परिसर में ही कार्य करने की अनुमति दी है, जिसे तीन न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली क्षेत्रीय समितियों की निगरानी में किया जा रहा है।
यह ऐतिहासिक पहल न केवल धार्मिक विश्वास को आधुनिक वित्तीय प्रबंधन से जोड़ती है, बल्कि यह मंदिरों के स्वावलंबन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।