लक्षेनगर रायपुर में इस साल का गणेश उत्सव एक अनोखे प्रयोग से विवाद का कारण बन गया। सिंधी युवा एकता गणेश उत्सव समिति द्वारा स्थापित एआई (Artificial Intelligence) से डिज़ाइन की गई गणेश प्रतिमा ने परंपरा और आधुनिकता के टकराव को उजागर कर दिया।
इस प्रतिमा में कथित तौर पर एनिमेटेड फीचर्स, पलक झपकाती आँखें और असामान्य अनुपात जैसे आधुनिक डिज़ाइन शामिल किए गए थे। आयोजकों का उद्देश्य था तकनीक और आस्था को जोड़ना, लेकिन कई भक्तों और धार्मिक संगठनों को यह प्रयोग अशोभनीय और आपत्तिजनक लगा।
📢 विरोध और मांगें
4 सितंबर को राम भक्त सेना और अन्य संगठनों ने पंडाल के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने माँग की कि:
- एआई प्रतिमा का तुरंत विसर्जन हो।
- आयोजन समिति सार्वजनिक माफी मांगे।
- भविष्य में धार्मिक आयोजनों में एआई तकनीक का इस्तेमाल प्रतिबंधित किया जाए।
⚡ विवाद बढ़ा
स्थिति तब और बिगड़ गई जब देर रात पंडाल में “फिल्मी और अश्लील गीत” बजने की खबर सामने आई। इसने स्थानीय लोगों का आक्रोश और भड़का दिया।
🚦 सड़क पर असर
विरोध प्रदर्शन से लक्षेनगर की सड़कों पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। हालात काबू में करने के लिए पुलिस ने आसपास की 12 थानों से अतिरिक्त बल तैनात किया।
🏛️ प्रशासनिक कार्रवाई
प्रशासन ने प्रतिमा की डिज़ाइन और पंडाल में हुई गतिविधियों की जांच शुरू कर दी है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन यह घटना एक बार फिर इस बहस को तेज कर गई है कि:
- धार्मिक आयोजनों में तकनीक की क्या सीमा होनी चाहिए?
- आस्था और नवाचार के बीच संतुलन कैसे साधा जाए?
- सार्वजनिक आयोजनों में सांस्कृतिक मर्यादाओं का पालन किस हद तक आवश्यक है?
🔎 बड़ी तस्वीर
यह विवाद केवल एक प्रतिमा तक सीमित नहीं है। यह उस दौर की झलक है जहाँ एआई जैसी तकनीकें कला और धर्म को नया रूप दे रही हैं, लेकिन समाज को यह तय करना होगा कि आधुनिकता और श्रद्धा की लकीर कहाँ खींची जाए।