सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की एक टिप्पणी ने देशभर में विवाद खड़ा कर दिया है। भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान कही गई बात को श्रद्धालुओं ने धार्मिक भावनाओं पर चोट करार दिया है।
📌 मामला क्या है?
मध्यप्रदेश के खजुराहो स्थित जवरी मंदिर की 7 फुट ऊँची भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की बहाली के लिए याचिकाकर्ता राकेश दलाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि मुगल आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त हुई इस मूर्ति की दशकों से मरम्मत नहीं हुई है, जिससे आस्था को ठेस पहुँच रही है। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को मूर्ति बहाल करने का निर्देश देने की मांग की।
📌 CJI की टिप्पणी और विवाद
सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले को ASI के अधिकार क्षेत्र में बताते हुए याचिका खारिज कर दी। लेकिन CJI गवई की यह टिप्पणी विवाद का कारण बन गई—
“आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के भक्त हैं, तो जाइए और उनसे प्रार्थना कीजिए।”
श्रद्धालुओं और हिंदू संगठनों ने इसे व्यंग्यात्मक और धार्मिक आस्थाओं का अपमान बताया है।
📌 सड़क पर उतरे श्रद्धालु
निर्णय के बाद दिल्ली के जंतर-मंतर सहित कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। सोशल मीडिया पर #ImpeachCJI और #RespectHinduFaith जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि न्यायपालिका को संवेदनशीलता के साथ आस्था से जुड़े मामलों को देखना चाहिए।
📌 कानूनी और सामाजिक बहस
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि कोर्ट का फैसला संविधान और पुरातत्व कानूनों के दायरे में था, लेकिन टिप्पणी ने धार्मिक समुदाय को आहत किया। कई विद्वानों का मानना है कि न्यायपालिका को शब्दों के चयन में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए, खासकर तब जब मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हो।
📌 आगे क्या होगा?
याचिकाकर्ता ने इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय को ज्ञापन सौंपा है। वहीं, धार्मिक संगठनों ने मांग की है कि मूर्ति की बहाली जल्द शुरू हो और सुप्रीम कोर्ट इस टिप्पणी पर स्पष्टीकरण दे।