- गरियाबंद पुलिस द्वारा लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चलाए जा रहे जागरूकता अभियान और शासन की पुनर्वास/आत्मसमर्पण नीति के प्रचार-प्रसार के परिणामस्वरूप तीन हार्डकोर माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया।
आत्मसमर्पण करने वालों में दिलीप उर्फ संतू (ग्राम केसेकोडी, जिला कांकेर), मंजुला उर्फ लखमी (ग्राम गोंदीगुड़ेम, जिला सुकमा), और सुनीता उर्फ जुनकी (ग्राम पोटेन, जिला बीजापुर) शामिल हैं। इन सभी ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर माओवादी संगठन में अपने अनुभव साझा किए।
दिलीप ने बताया कि 2012 में उसे माओवादी संगठन में भर्ती किया गया था और बाद में गरियाबंद-धमतरी सीमा पर सक्रिय एसडीके एरिया कमेटी में डिप्टी कमांडर के रूप में काम किया। वह कई बड़ी माओवादी घटनाओं में शामिल रहा, जिसमें सिकासेर के जंगल में मुठभेड़ और भालूडिग्गी पहाड़ी की घटना शामिल है, जहां 16 माओवादी मारे गए थे।
मंजुला ने बताया कि उसे 2016 में माओवादी संगठन में भर्ती किया गया और बाद में एसडीके एरिया कमेटी में सदस्य के रूप में काम किया। उसने भी कई नक्सली गतिविधियों में भाग लेने की बात स्वीकार की।
सुनीता ने बताया कि 2010 में माओवादी संगठन में भर्ती होने के बाद वह बरगढ़ एरिया कमेटी में सक्रिय रही। उसने बताया कि जनवरी 2025 में गरियाबंद के भालूडिग्गी पहाड़ी में मुठभेड़ के दौरान उसका नेता विकास मारा गया था, जबकि वह वहां से भागने में सफल रही।
तीनों नक्सलियों ने माओवादी संगठन की हिंसक विचारधारा और उनके द्वारा निर्दोष ग्रामीणों पर किए जा रहे अत्याचारों का जिक्र करते हुए आत्मसमर्पण का फैसला किया। उन्होंने कहा कि शासन की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उन्होंने सामान्य जीवन अपनाने का निर्णय लिया।
गरियाबंद पुलिस ने स्थानीय नागरिकों को भी अपील की है कि वे माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान में सहयोग करें और आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाकर सामान्य जीवन की ओर लौटने के लिए प्रेरित करें।