छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ में वन संसाधनों के उपयोग, स्थानीय संसाधनों के बेहतर प्रबंधन, और उद्यमिता के विकास के क्षेत्र में अभूतपूर्व कदम उठाए गए हैं।
इन योजनाओं के तहत, ग्रामीण और सुदूर वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों तक वन संसाधनों का भरपूर लाभ पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। छत्तीसगढ़ में देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपज संग्रहित होता है, और वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले वनवासी और आदिवासियों के हित में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
छत्तीसगढ़ में लघु वनोपजों की संख्या में वृद्धि के बावजूद, संग्राहकों के हित में भी कई कदम उठाए गए हैं। वर्ष 2018-19 में संग्राहकों की संख्या 1.5 लाख थी, जो आज बढ़कर 6 लाख हो गई है। वर्ष 2021-22 में कुल 42 हजार मीट्रिक टन लघु वनोपजों की खरीदी की गई है, जबकि यह मात्रा वर्ष 2018-19 में 540 मीट्रिक टन थी। छत्तीसगढ़ में लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए मिलेट मिशन भी चलाया जा रहा है, और इसके तहत समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी, रागी की खरीदी की जा रही है।
छत्तीसगढ़ देश के सबसे बड़े वनोपज संग्राहक राज्य में है, और पिछले साढ़े चार वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी योजनाओं के परिणामस्वरूप लगभग 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों और 6 लाख वनोपज संग्राहकों को अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है। संग्राहकों के हित में तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2,500 रुपए से बढ़कर 4,000 रुपए प्रति मानक बोरा किया गया है, और इसके अलावा, संग्राहकों को विगत चार वर्षों में 2,146.75 करोड़ रुपए तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है। संग्राहक परिवारों के हित में शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत अब तक 4,692 हितग्राहियों को 71.02 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई है।
वन अधिकारों के क्रियान्वयन में भी छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी राज्य है, और छत्तीसगढ़ सरकार ने लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है, और लाख उत्पादक कृषकों को अल्पकालीन ऋण प्रदान करने की योजना भी लागू की है, जिसके परिणामस्वरूप आज लाख उत्पादक किसान भी आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।