बीजापुर में माओवादियों की दरिंदगी: पुलिस मुखबिरी के शक में दो महिलाओं की हत्या
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से माओवादियों की खौफनाक दरिंदगी की खबर सामने आई है। पुलिस मुखबिरी के शक में माओवादियों ने दो महिलाओं की गला घोंटकर हत्या कर दी। यह दोनों घटनाएं 7 और 8 दिसंबर को हुईं।
पहली घटना में 40 वर्षीय यालम सुकरा, जो लोदेड गांव की रहने वाली थी, को माओवादियों ने उसके पति रमैया यालम के साथ किडनैप कर लिया। अपहरण के बाद माओवादियों ने दोनों को बुरी तरह प्रताड़ित किया और रमैया को मजबूर किया कि वह अपनी पत्नी की हत्या का खौफनाक मंजर देखे। माओवादियों ने सुकरा की हत्या के बाद शव के पास एक नोट भी छोड़ा, जिसमें लिखा गया कि सुकरा साल 2017 से पुलिस की मुखबिर थी।
दूसरी घटना टीमापुर गांव में हुई, जहां माओवादियों ने तीन बच्चों की 45 वर्षीय मां की हत्या कर दी। यह दोनों ही हत्याएं पीड़ितों के परिवारों के सामने की गईं।
माओवादियों का आरोप और जनता अदालत का फैसला:
- माओवादियों का आरोप था कि यालम सुकरा 2017 से 2024 तक पुलिस के संपर्क में रही और उसकी मुखबिरी के चलते कई नक्सली मारे गए।
- नक्सलियों ने सुकरा को चार बार पुलिस से संपर्क न करने की चेतावनी दी थी, लेकिन उसने इसे नजरअंदाज किया।
- हाल ही में सात नक्सलियों की मौत के बाद जनता अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई।
स्थानीय स्थिति:
- लोदेड गांव, जहां से यालम सुकरा को अगवा किया गया, राजधानी रायपुर से करीब 460 किमी दूर है।
- नक्सलियों ने हत्या के बाद ग्रामीणों के बीच दहशत फैलाने के लिए गला घोंटकर हत्या जैसे खौफनाक तरीके अपनाए।
छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा का यह ताजा उदाहरण है, जो क्षेत्र में बढ़ती असुरक्षा और माओवादियों के बढ़ते आतंक को दर्शाता है।