नवा रायपुर, 29 अप्रैल 2025 — राज्य बाल संरक्षण समिति की कार्यकारिणी एवं आमसभा की बैठक आज मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव श्रीमती शम्मी आबिदी ने की। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा, पुनर्वास और सशक्तिकरण के लिए विभिन्न विभागों के बीच समन्वित कार्ययोजना बनाए जाने पर जोर दिया और मिशन वात्सल्य योजना तथा किशोर न्याय अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए।
बैठक में जानकारी दी गई कि मिशन वात्सल्य योजना के तहत छत्तीसगढ़ में कुल 112 बाल देखरेख संस्थाएं संचालित हैं, जिनमें वर्तमान में 2099 बच्चे निवासरत हैं। इनमें से 1307 बच्चे नियमित स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, 48 बच्चे ओपन स्कूल के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं और 36 बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बच्चों की पहचान और सेवाओं की सुगमता के लिए 1888 बच्चों के आधार कार्ड, 1198 बच्चों के बैंक खाते और 1042 बच्चों के स्मार्ट कार्ड बनाए गए हैं।
सचिव श्रीमती शम्मी आबिदी ने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और आधुनिक कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराने पर विशेष बल दिया। वर्ष 2024-25 में 108 बच्चों को दत्तक ग्रहण के माध्यम से नया परिवार मिला है, जबकि 1433 बच्चों को स्पांसरशिप योजना के तहत सहायता दी गई। इसके साथ ही 108 बच्चों को पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के अंतर्गत लाभान्वित किया गया है।
बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत इस वर्ष अब तक 337 बाल विवाह रोके गए हैं, जो बाल अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। बैठक में चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, महिला हेल्पलाइन 181 और आपात सेवा 112 के एकीकरण पर भी चर्चा हुई और इनके प्रभावी प्रचार-प्रसार के लिए दिशा-निर्देश दिए गए ताकि सहायता सेवाएं समय पर बच्चों और महिलाओं तक पहुंच सकें।
समिति ने मिशन वात्सल्य के तहत प्रशिक्षण, जन-जागरूकता और वर्ष 2023-24 की ऑडिट कार्ययोजना को स्वीकृति प्रदान की। साथ ही, राज्य की बाल संरक्षण नीति का ड्राफ्ट तैयार करने की प्रगति भी साझा की गई, जो बाल कल्याण के लिए भविष्य की दिशा तय करेगा।
बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक श्री पदुम सिंह एल्मा, स्कूल शिक्षा विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री फरिहा आलम, गृह विभाग, स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, वित्त विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, रेलवे और एनआईसी के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। सभी विभागों ने अपने-अपने क्षेत्र में चल रहे कार्यों की जानकारी दी और समन्वय के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा एवं समुचित विकास हेतु अपनी प्रतिबद्धता जताई।