भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी इन दिनों एक विवाद के केंद्र में है, जिसमें एक कंटेंट मार्केटिंग उद्यमी अनुराधा तिवारी ने दावा किया कि उन्होंने संस्थान के साथ मिलकर एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस कोर्स शुरू किया है, जिसमें आरक्षण नीति लागू नहीं होगी। इस दावे के बाद संस्थान ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए सार्वजनिक रूप से इस कथित साझेदारी से इनकार कर दिया और कहा कि वह भारत सरकार की आरक्षण नीति का पूरी तरह पालन करता है।
विवादित दावा और ऑनलाइन नाराजगी
अनुराधा तिवारी ने इस नौ महीने के कोर्स की घोषणा करते हुए दावा किया कि यह कोर्स “सभी के लिए खुला है” और इसमें किसी भी प्रकार की जाति आधारित आरक्षण नीति लागू नहीं होगी। उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर आक्रोश की लहर फैला दी, क्योंकि एक सरकारी संस्थान से इस प्रकार का गैर-आरक्षण आधारित कोर्स असंवैधानिक माना जा रहा था।
IIT मंडी की आधिकारिक प्रतिक्रिया
IIT मंडी ने तुरंत एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि अनुराधा तिवारी के कोर्स से उनका कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने ऐसी किसी साझेदारी को कभी स्वीकृति नहीं दी। संस्थान ने यह भी स्पष्ट किया कि उसके सभी नियमित शैक्षणिक कार्यक्रमों में भारत सरकार की आरक्षण नीति का पूर्ण पालन किया जाता है।
अनुराधा तिवारी का जवाब और राजनीतिक रुख
संस्थान के खंडन के बाद, अनुराधा तिवारी ने सोशल मीडिया पर चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनका दावा झूठा है तो IIT मंडी उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे। उन्होंने कुछ स्क्रीनशॉट्स और दस्तावेज भी साझा किए, जिनमें उन्होंने कथित सहयोग का प्रमाण देने की कोशिश की। हालांकि, अब तक संस्थान ने किसी भी प्रकार की कानूनी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
इसके बाद तिवारी ने एक नया राजनीतिक दल शुरू करने की घोषणा कर दी, जिससे यह विवाद शिक्षा से राजनीति की दिशा में मुड़ गया है। इस कदम को लेकर जनता और विशेषज्ञों के बीच गंभीर चर्चा शुरू हो गई है।
IIT मंडी के कोर्स स्ट्रक्चर की वास्तविकता
ज्ञात हो कि IIT मंडी के सभी डिग्री और नियमित कार्यक्रमों में आरक्षण नीति अनिवार्य है, लेकिन इसके ‘Centre for Continuing Education (CCE)’ द्वारा संचालित अल्पकालिक और कौशल-आधारित कोर्सों में आरक्षण लागू नहीं होता। ये कोर्स आम जनता, छात्रों, शिक्षकों और कामकाजी पेशेवरों के लिए होते हैं। विवाद संभवतः इसी बात को लेकर उपजा, जहां कुछ लोगों ने इस कोर्स को संस्थान का मुख्य कार्यक्रम समझ लिया।
जन प्रतिक्रिया और आगे की राह
यह विवाद अब राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा प्रणाली, सरकारी संस्थानों की पारदर्शिता और निजी सहयोग की नैतिक जिम्मेदारियों पर चर्चा का विषय बन गया है। विशेषज्ञों और आम नागरिकों का मानना है कि सरकारी और निजी संस्थानों के बीच किसी भी प्रकार की साझेदारी की स्पष्ट जानकारी और दस्तावेजी पारदर्शिता बेहद आवश्यक है।
फिलहाल IIT मंडी ने अनुराधा तिवारी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की है और उनके एआई कोर्स का भविष्य भी अनिश्चित है। देखना यह है कि यह विवाद भारत की शिक्षा नीतियों पर कोई स्थायी प्रभाव डालेगा या समय के साथ यह मुद्दा शांत हो जाएगा।