भारत के करोड़ों मोबाइल उपभोक्ताओं को इस हफ्ते जोर का झटका लगा जब रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने अचानक अपना लोकप्रिय ₹249 प्रीपेड प्लान बंद कर दिया। यह पैक उन ग्राहकों के लिए जीवनरेखा था, जो कम खर्च में डेटा और कॉलिंग सुविधा पाना चाहते थे। लेकिन 20 अगस्त 2025 से दोनों कंपनियों ने बिना किसी पूर्व सूचना के इसे हटा दिया, जिससे उपभोक्ताओं पर महंगे रिचार्ज लेने का दबाव बढ़ गया है।
₹249 का यह पैक उपभोक्ताओं को 1GB दैनिक डेटा, अनलिमिटेड कॉलिंग और 100 SMS प्रतिदिन उपलब्ध कराता था। इसकी वैधता 24 से 28 दिनों तक रहती थी, जो कम बजट वाले ग्राहकों के लिए किफायती विकल्प था। अब कंपनियों ने इसे पूरी तरह बंद कर दिया है और सबसे सस्ता दैनिक डेटा पैक ₹299 का कर दिया है। हालांकि इसमें 4 दिन अतिरिक्त वैधता दी गई है, लेकिन उपभोक्ताओं को ₹50 से ₹90 तक का अतिरिक्त बोझ हर महीने उठाना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियों का मकसद औसत राजस्व (ARPU) बढ़ाना है। 5G नेटवर्क में भारी निवेश और वित्तीय दबाव के बीच जियो और एयरटेल सस्ते ग्राहकों को धीरे-धीरे महंगे प्लान की ओर धकेल रहे हैं। कई विश्लेषकों का यह भी कहना है कि कंपनियां निवेशकों को मजबूत राजस्व दिखाने के लिए उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल रही हैं।
सबसे बड़ी चिंता टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण TRAI की भूमिका को लेकर है। उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और किफायती प्लान उपलब्ध कराने का जिम्मा TRAI का है, लेकिन ₹249 प्लान हटने पर भी नियामक ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। उपभोक्ताओं का आरोप है कि TRAI एक “मूक दर्शक” की तरह बर्ताव कर रहा है और कंपनियों को मनमानी करने दे रहा है।
इस निर्णय का सीधा असर छात्रों, छोटे दुकानदारों, दिहाड़ी मजदूरों और उन लाखों लोगों पर पड़ रहा है, जिनके लिए हर महीने का अतिरिक्त खर्च एक बड़ी चुनौती है। बढ़ती महंगाई के दौर में यह “साइलेंट टैरिफ हाइक” लोगों की जेब पर और भारी पड़ रही है।
अब उपभोक्ताओं की नजर TRAI पर है कि क्या वह अपनी निष्क्रियता तोड़ेगा और कंपनियों को जवाबदेह बनाएगा या फिर भारत में सस्ता मोबाइल इंटरनेट हमेशा के लिए इतिहास बन जाएगा।