छत्तीसगढ़ में शांति और विकास के लिए एक नई चुनौती बनती जा रही है छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना। समाज सेवा के नाम पर शुरू हुआ यह संगठन अब हिंसा, रंगदारी और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने के आरोपों से घिरा हुआ है। इसकी गतिविधियों ने न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर किया है बल्कि लोगों में असुरक्षा और भय का माहौल भी पैदा कर दिया है।
अगस्त 2021 में जनजगीर-चांपा जिले के बम्हनीदीह क्षेत्र में इस संगठन से जुड़े छह लोगों ने एक कीटनाशक दुकान में घुसकर ₹1 लाख की रंगदारी मांगी। पैसे न देने पर उन्होंने दुकान मालिक, कर्मचारियों और बीच-बचाव करने आए ग्रामीणों से मारपीट की। आरोपियों ने दुकान से कीटनाशक और अन्य सामान भी जबरन उठा लिया। लंबे न्यायिक प्रक्रिया के बाद जून 2025 में अदालत ने सभी आरोपियों को सात साल की सजा और जुर्माने की सजा सुनाई। इनमें से एक आरोपी पर आर्म्स एक्ट के तहत भी कार्रवाई हुई।
इसके अलावा मई 2025 में संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष अमित बघेल ने जैन मुनियों को लेकर विवादित बयान दिया, जिसमें उन्हें ‘बाहरी’ बताया गया। इस बयान से सामाजिक सौहार्द को ठेस पहुंची और कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए। बघेल को बाद में बलौद से गिरफ्तार किया गया।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की गतिविधियां न केवल कानून व्यवस्था को अस्थिर करती हैं, बल्कि साम्प्रदायिक तनाव को भी बढ़ावा देती हैं। रंगदारी और हिंसा के कारण छोटे व्यापारी और निवेशक भयभीत रहते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है। इसके अलावा, ऐसी घटनाएं पुलिस और न्याय व्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं।
छत्तीसगढ़ पहले से ही नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहा है, जहां सुरक्षा बलों और आम लोगों पर हमले होते रहे हैं। ऐसे में क्रांति सेना जैसे संगठन हिंसा का नया आयाम जोड़ रहे हैं, जो राज्य की शांति और विकास के लिए गंभीर खतरा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनौती से निपटने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई, सामुदायिक जागरूकता और छोटे व्यवसायों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने जरूरी हैं। केवल एकजुट और पारदर्शी प्रयासों से ही छत्तीसगढ़ को ऐसे हिंसक और विभाजनकारी संगठनों से मुक्त कराया जा सकता है।