रायपुर में 16 जून 2025 को जब दंतेवाड़ा के 50 युवाओं का आईआईएम रायपुर में आयोजित उद्यमिता सर्टिफिकेट प्रोग्राम का समापन हुआ, तो यह सिर्फ एक कार्यक्रम का अंत नहीं बल्कि एक नई सोच की शुरुआत थी। कभी संघर्ष और सीमित संसाधनों से जूझने वाले इन युवाओं के जीवन में अब अवसरों की नई रोशनी फैली है। यह परिवर्तन आया है एक ऐसे साझा प्रयास से, जिसमें आईआईएम रायपुर, दंतेवाड़ा जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ सरकार ने मिलकर एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस दो महीने के आवासीय कार्यक्रम में युवाओं को न केवल व्यवसायिक तकनीकों की शिक्षा दी गई, बल्कि उन्हें अपने अंदर छिपी संभावनाओं को पहचानने का भी अवसर मिला।
दंतेवाड़ा के राकेश यादव, जिन्होंने इस प्रशिक्षण में भाग लिया, कहते हैं कि पहले हमें लगता था कि जंगल का महुआ या इमली केवल खाने-पीने तक सीमित हैं, लेकिन अब पता चला है कि ये हमारी रोज़ी-रोटी और आत्मनिर्भरता का भी साधन बन सकते हैं। बीजापुर के तेजस्व कुमार, किरंदुल के अभिषेक गुप्ता और बचेली की शिल्पा कुमारी जैसे प्रतिभागियों का मानना है कि यह प्रशिक्षण उनके जीवन का मोड़ बन गया है। शिल्पा बताती हैं कि उन्होंने सीखा कि कैसे स्थानीय संसाधनों से व्यापार शुरू कर आत्मनिर्भर बना जा सकता है। यह केवल ज्ञान नहीं, बल्कि आत्मबल का संचार भी था, जिससे उनके जीवन की दिशा ही बदल गई है।
इस संपूर्ण सफलता के पीछे सबसे प्रमुख भूमिका रही दंतेवाड़ा के कलेक्टर श्री कुणाल दुदावत की, जिनकी सोच, दूरदृष्टि और सक्रिय पहल ने इस परियोजना को साकार किया। उन्होंने केवल युवाओं की पहचान ही नहीं की, बल्कि उन्हें देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएम रायपुर तक पहुंचाया, जहाँ उन्होंने देश के बेहतरीन प्रशिक्षकों से व्यवसायिक कौशल सीखा। यह प्रयोग यह साबित करता है कि यदि प्रशासन सोच को सकारात्मक दिशा दे, तो परिणाम असाधारण हो सकते हैं। कलेक्टर कुणाल दुदावत ने यह सिद्ध किया है कि यदि सरकारी प्रयासों में प्रतिबद्धता और नवाचार हो, तो छत्तीसगढ़ के सबसे कठिन क्षेत्रों में भी परिवर्तन की कहानी लिखी जा सकती है।
आज ये युवा ना केवल प्रेरणा बन चुके हैं, बल्कि अब अपने क्षेत्रों में रोल मॉडल की भूमिका निभा रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल ने यह दिखाया है कि शिक्षा, प्रशिक्षण और प्रशासनिक इच्छाशक्ति के बल पर कैसे युवा शक्ति को सशक्त किया जा सकता है। यह कार्यक्रम सिर्फ प्रशिक्षण नहीं था, बल्कि यह एक क्रांति है — ग्रामीण और आदिवासी युवाओं के आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और भविष्य निर्माण की क्रांति।